Saturday 29 October, 2011

मैं सरकारी अफसर हूँ

मैंने कुछ पुस्तके पढ़ी हैं
इसलिए ज्ञान मेरे अन्दर ही समाया हैं
मैकाले की अंग्रेजियत 
मेरे रगों में हैं
और मैं तुमसे जुदा हूँ
सबसे जुदा हूँ 
एक अलग सा व्यक्तित्व हूँ
मैं सरकारी अफसर हूँ
तुम सब जो आते हो मेरे कार्यालय
मेरे चपरासी से हुडकी खाते हुए
मेरे सामने रखी कुर्सी पर 
बैठने की इजाजत नहीं हैं तुम्हे
बिना मुझे सलाम किये 
मैं पता नहीं कितनो की भीड़ को
रौदकर इस पद तक पंहुचा हूँ
इसलिए इस पद की गरिमा हैं
हमे भी तो झुकना पड़ता हैं
खादी पहने या बिना पहने नेताओ के सामने
उनके रिश्तेदारों
रसूखदार व्यवसायियों के सामने
कभी कभी तो गूंडे भी रसूखवाले होते हैं
तो तुम भी झुको मेरे सामने
नत मस्तक रहो
हम क्या करे, वही सही हैं
तुम्हारा कोई अधिकार  ?
जो हम दे वही तुम्हारा 
तुम्हारा काम ?
जब हम करे तभी होगा 
हमारी मर्जी नहीं
वो तो रब की मर्जी हैं
क्युकी तुम आम आदमी हो
तुम जनता हो
और हम सरकार
मैं तुमसे जुदा हूँ
सबसे जुदा हूँ
मैं अलग सा व्यक्तित्व हूँ 
मेरी रगों में हैं
मैकाले की अंग्रेजियत
मैं क्यूँ सोचु की क्या हो रहा हैं
तुम्हारे साथ
मैं क्यूँ सोचु की
क्यूँ चूल्हा नहीं जला तुम्हारे घर
मैं क्यूँ सोचु की नकली दवा
या नकली शराब से क्यूँ मरते हो तुम
मैं क्यूँ सोचु की व्रत का आटा
और मावा छेना दूध भी क्यूँ 
नकली होने लगा हैं ?
मैं क्यूँ सोचु की देश का राजश्व
कहा खर्च हो रहा हैं
मुझे तो ये सोचने से ही फुर्सत नहीं
मेरे आका तक कितना पहुचाना हैं/
मैं क्यूँ जवाबदेह बनू किसी कानून का
मैं तो खुद कानून हूँ
क्युकी मेरी रगों में
अंग्रेजियत हैं मैकाले की 
और मैं तुमसे जुदा हूँ
सबसे जुदा हूं
जनता का दुःख दर्द मैं समझता हूँ
तभी तो हर रेल दुर्घटना के बाद
या बम ब्लास्ट के बाद
मुवावजा तो देता हूँ
अब कितना दूं 
ये तो हमारी मर्जी हैं
दया पर कोई हक़ तो नहीं होता
और मैं ये क्यूँ सोचु
रेल दुर्घटना क्यूँ हुयी
बम क्यूँ फटा
आप खुद कीजिये अपनी सुरक्षा
क्यूँ आप उम्मीद रखते हैं हमसे 
क्या आप नहीं समझे अब तक
मैं तुमसे जुदा हूँ
सबसे जुदा हूँ
मैं अलग सा व्यक्तित्व हूँ 
मेरी रगों में हैं
मैकाले की अंग्रेजियत

Monday 30 May, 2011

सरकार को चेताने के लिए हम क्या करे ?



मनमोहन सिंह और उनकी आका सोनिया गाँधी को नींद से जगाने के लिए ,
 जन भावना और जनमत के प्रति उनके कर्तव्य की याद दिलाने के लिए
लोकपाल के दायरे में चपरासी से लेकर प्रधान मंत्री और न्यायाधीश सभी को लाने के लिए आने वाले ५ दिनों में क्या करना चाहिए :-

१. हर गाँव शहर से सरपंच से लेकर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट तक सबको ज्ञापन देना चाहिए
२. हर बाज़ार चौराहे पर प्रदर्शन होने चाहिए
३. हर जिले में जुलूस निकलना चाहिए
४. 5 तारीख को सारे देश में शाम 7-8 बजे तक ब्लेक आउट होना चाहिए
५. 4 जून से होने वाले भारत स्वाभिमान के सत्याग्रह का अन्ना जी को समर्थन करना चाहिए

Sunday 15 May, 2011

व्यवस्था में परिवर्तन चाहिए , हमे स्वराज चाहिए /



फिर से चुनाव आएगा / फिर से वोट देने की मजबूरी, व्यथित हूँ क्या करू ? वोट न दूं तो ऐसा लगता हैं जैसे अपने अधिकार का प्रयोग नहीं किया और वोट दू तो ऐसा लगता हैं अपने अधिकार का उपयोग नहीं किया / प्रयोग और उपयोग, अजीब कशमकश हैं / वोट किसको दे , सारे दल फेल हो चुके हैं / भारत की जनता ने सबको मौका दिया लेकिन कोई भी जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा / आजादी के बाद से हम एक ही तरह की बुनियादी समस्याओ से निजात नहीं पा सके हैं / जस की तस कड़ी हैं बेरोजगारी और भुखमरी- गरीबी / गिने चुने लोग अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और कृषक मजदूर किसी तरह दो बेला चावल रोटी का जुगाड़ कर पाते हैं / रोटी कपडा और मकान सबसे बुनियादी जरुरत से भी भारत की अधिकतर जनता वंचित हैं / हमारे चुने ही जन प्रतिनिधि ही हम से विश्वासघात करते हैं , चुनाव के वक़्त भीख का कटोरा लिए घुमते हैं , दारु , नोटों की गड्डिया, टेलीविजन और मंगलसूत्र साडी बांटते हैं / साम दाम दंड भेद से हमसे हमारा वोट छिनते हैं और अगले पांच वर्ष तक देश का खजाना लूटते हैं / हमारे हक के साथ अन्याय करते हैं और जनता को गुलाम समझते हैं / व्यवस्था में परिवर्तन चाहिए , हमे स्वराज चाहिए /

Monday 2 May, 2011

तड़प रही कराहती माँ भारती पुकारती

माँ भारती पुकारती युवा तुम बढे चलो

इस तरफ न उस तरफ बस एक तरफ चले चलो
तड़प रही कराहती माँ भारती पुकारती
दंश दे रहे हैं दानव मेरी तुम रक्षा करो
माँ भारती पुकारती युवा तुम बढे चलो

रक्त की हर एक बूँद , कर्ज माँ के दूध का
कर्ज ये उतार दे शीश अपना वार दे
माँ भारती पुकारती युवा तुम बढे चलो
इस तरफ न उस तरफ बस एक तरफ चले चलो

वो गोल घर हैं बना अड्डा जालिमो लुटेरो का
धन पशु डकार रहे हमारी धन सम्पदा
आर हो या पार हो तू देश को उबार दे
माँ भारती पुकारती तू शीश अपना वार दे

पाट दे तू खायी अमीर और गरीबो की
चंगुलो से मुक्त कर खेतो को खलिहानों को
माँ भारती पुकारती युवा तुम बढे चलो
इस तरफ न उस तरफ बस एक तरफ चले चलो

शांति से जनपथ पे आकर अपना हक तू मांग ले
आनाकानी हो जो कोई, खुद को भगत सिंह जान ले
भ्रष्टाचारी देशद्रोही का करना हैं विनाश तो
शांति को भी साथ ले और क्रांति को भी साथ ले
साथ साथ बढे चलो , माँ भारती पुकारती
तड़प रही कराहती माँ भारती पुकारती

Saturday 23 April, 2011

इसलिए मुझे जन लोकपाल बिल चाहिए /

मैं भारत का आम नागरिक हूँ / मैं ये नहीं चाहता की मेरे हक का हिस्सा कोई जन प्रतिनिधि हजम कर जाए / मैं ये चाहता हूँ की मेरे गाँव मेरे शहर मेरे मोहल्ले के विकाश के लिए जो रकम निश्चित की गयी हैं वो उसी में लगायी जाए / दिल्ली से एक रूपया चले तो मेरे तक पहुचने के बाद भी वो एक रूपया ही रहे / मेरे हक के पैसो में किसी की सेंध मुझे बर्दाश्त नहीं हैं / इसलिए मुझे जन लोकपाल बिल चाहिए /

मैं भारत का आम नागरिक हूँ / मुझे अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए विद्यालयों में उनका प्रवेश चाहिए, बिना रिश्वत / इसलिए मुझे जन लोकपाल बिल चाहिए /

मैं भारत का आम नागरिक हूँ / मुझे अपने व्यवसाय को पंजीकृत करवाने के लिए विक्री कर विभाग में रिश्वत नहीं देनी हैं / इसलिए मुझे जन लोकपाल बिल चाहिए /

मैं भारत का आम नागरिक हूँ / हमारे देश का कर चोरी करके विदेशो में धन जमा करने की प्रवृति में रोक लगनी चाहिए / काले धन की पैदाइश में रोक लगनी चाहिए / इसलिए मुझे जन लोकपाल बिल चाहिए /

मैं भारत का आम नागरिक हूँ / सार्वजनिक वितरण प्रणाली के द्वारा जो रासन तेल हमें मिलना चाहिए उसकी कालाबाजारी नहीं होनी चाहिए / इसलिए हमें जन लोकपाल बिल चाहिए /

मैं भारत का आम नागरिक हूँ / मुझे अपने घर, व्यवसाय या खेत में बिजली का कनेक्सन लेने के लिए रिश्वत न देनी पड़े / इस लिए मुझे जन लोकपाल बिल चाहिए /

कृपया आपको क्यूँ चाहिए जन लोकपाल बिल अपने कमेन्ट भी दीजिये /

Monday 18 April, 2011

अमर सिंह प्रकट हुए हैं देखा आप लोगो ने ?

भाइयो और बहनों, देख रहे हो अनेकता में एकता का उदाहरण ? देख रहे हो कैसे सारे राजनैतिक दल एक जुट हो गए हैं ? अमर सिंह कैसे और कौनसी गुफा से बाहर निकल कर प्रकट हुए हैं देखा आप लोगो ने ? मुलायम सिंह ने जब अपने प्रिय अमर सिंह को बाहर का रास्ता दिखाया और जया प्रदा  ने भी इनको दुत्कार दिया , अमिताभ जी और जया जी ने भी इनसे किनारा कर लिया और अम्बानी बंधुओ के साथ भी इनकी दाल गलनी बांध हो गयी तो यर नया सगुफा लाये हैं अपनी राजनीती की दूकान चमकाने को / अमर सिंह जैसे अवसरवादी और घटिया व् भ्रष्ट राजनीती करने वाले लोगो का अंत आ गया हैं / देश की जनता इस तरह के चालबाज और तुच्छ राजनीती खेलने वालो को बहुत अच्छी तरह पहचानने लगी हैं / और अमर सिंह तो हमेशा से कार्पोरेट जगत के गुलाम रहे हैं / भ्रस्टाचारी बौखला  गए हैं , उन्हें जन लोकपाल बिल के रूप में अपना काल नजर आने लगा हैं / इसलिए दिग्विजय सिंह जी को अपने सारे पाप याद आ रहे हैं और घबरा कर अनर्गल वार्तालाप कर रहे हैं / बौरा गए हैं सारे भ्रष्ट नेता / 

कुछ लोग सामने से इस खेल में खेलना नहीं चाहते वो लोग शांत बैठकर अपने मोहरे चल रहे हैं / दोस्तों अब वक़्त आ गया हैं इन मोहरों को पहचानने का , इनके आकाओ को पहचानने का / जन लोकपाल बिल ही नहीं हमे राईट टू रिजेक्ट और राईट टू रिकाल भी चाहिए / पत्रकार भाइयो और बहनों, आजादी की लडाई में  आप लोगो का सहयोग जग जाहिर हैं और अभी तक के भ्रस्टाचार के विरुद्ध युद्ध में आपको लोगो का सहयोग अतुलनीय हैं  / आप लोगो से विनती हैं देश हित में ये सहयोग बनाये रखे और जो एक दो पत्रकार या समाचार पत्र जो अपनी रोटिया सेकने में लगे हैं उन्हें अपना काम करने दे और हम देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने की अपनी मुहीम में आगे बढ़ते रहे / 

Saturday 9 April, 2011

रामदेव जी आपकी महत्वाकांक्षा प्रबल हैं /

बाबा रामदेव ने पिछले दो दिनों में दो बार राजनीती का प्रदर्शन कर दिया / एक बार तो श्री अन्ना जी के मंच से सोनिया गाँधी का विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर, तब भी गुस्सा आया था और आज तो हद ही कर दी / श्री शांति भूषण और प्रशांत भूषण पिता- पुत्र का एक साथ जन लोकपाल ड्राफ्ट कमिटी में होना सोचने से अच्छा नहीं लग रहा / इससे बचना था / लेकिन जल्दबाजी में या किसी भी और वजह से अगर ये त्रुटी रह गयी तो भी बाबा रामदेव को मीडिया में बयान नहीं देना था / पहले आपस में, इंडिया अगेंस्ट करप्सन में चर्चा करते फिर मीडिया में बयानबाजी करते / बाबा रामदेव बहुत ही ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं लेकिन अपनी महत्वाकांक्षा के चलते वो जनभावना का अपमान नहीं कर सकते / बाबा रामदेव जो शहर शहर गाँव गाँव वर्षो से घूम घूम कर भी अपने लिए जो जनसमर्थन इकठ्ठा नहीं कर पाए वो श्री अन्ना को मिलते देखकर वो बौखला गए हैं / बाबा रामदेव सोचते हैं की उन्हें जन समर्थन हासिल हैं लेकिन उन्हें ये नहीं पता की भारत की जनता की सोच बहुत ही परिपक्व हो चुकी हैं / मैं उनसे सादर सिर्फ एक ही सवाल पूछना चाहता हूँ की आप भारत स्वाभिमान के जो मंडलाध्यक्ष , जिलाध्यक्ष बना रहे हैं उनका चुनाव कैसे कर रहे हैं , क्या उनके लिए कोई चंदा / डोनेसन निर्धारित हैं ? 

रामदेव जी आप देश के लिए सोचते हैं इसमें कोई शक नहीं लेकिन आपकी महत्वाकांक्षा प्रबल हैं / त्याग की प्रतिमूर्ति बनिए श्री अन्ना जी की तरह , नाम के योगी न बने कर्म में योग लाये / त्याग में बहुत बड़ी शक्ति होती हैं, सोनिया जी का प्रधानमंत्री पद का त्याग ही  यु पि ए सरकार को अब तक चला रहा हैं / श्री अन्ना जी से अनुरोध करना चाहूगा की वो अपने आन्दोलन को किसी राजनैतिक महत्वाकांक्षा की बलि न बनने दे  , आज भारत की जनता को आपमें जो एक नयी रौशनी दिखी हैं उसे कायम रहने दे / श्री अरविन्द केजरीवाल से लेकर स्वामी अग्निवेश तक जो लोग भी आज आपके साथ हैं उन्हें एक बार फिर से परख ले , क्या वो सच्चे देशभक्त हैं ? क्या वो निस्वार्थ हैं ? क्या उनके मन के अन्दर कोई दबी हुयीं महत्वाकांक्षा तो नहीं ? नेहरु जी और जिन्ना जी की महत्वाकांक्षा का फल हम सभी भुगत रहे हैं / आजादी के इस दुसरे आन्दोलन की परिणति ऐसी होना देश का दुर्भाग्य होगा /

Thursday 7 April, 2011

भीड़ नहीं जन सैलाब हैं


सत्ता के नशे में मदमस्त सरकार की नींद टूट गयी , थोड़ी सी खुमारी बाकी हैं सुबह तक वो भी छंट जाएगी / सोनिया जी भी जाग गयी, अनशन के तीसरे दिन उन्हें अन्नाजी के अनशन से दुःख हुआ / पहले दो दिन कहाँ थी वो ? राहुल बाबा को तो अभी तक पता भी नहीं चला की दिल्ली में गद्दी हिलने लगी हैं वो चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं / कितने नाटकबाज होते हैं ये नेता और मंत्री / आज सुषमा स्वराज ट्विट्टर पे समर्थन कर रही हैं नरेन्द्र मोदी अन्ना जी की तुलना श्री जयप्रकाश नारायण जी से कर रहे हैं / कल तक कहाँ घुसे हुए थे सब के सब / आपस में विचार विमर्श कर रहे थे "बुड्ढा सठिया गया हैं " "दो चार दिन भूखे रहेगा अपने आप मान जायेगा " / कोई प्रलोभन दे देगे / किसी कमेटी का मेम्बर अध्यक्ष बना देंगे / उन्हें ये कहाँ पता था की " ये अन्ना नहीं आंधी हैं युग का दूसरा गाँधी हैं " / उन्हें ये नहीं पता था की ये जिद्दी बुड्ढा उनकी गन्दी कौम का नहीं , वो भ्रष्ट नेता नहीं जो बिक जाते हैं /

आजादी के आन्दोलन के बाद ये देश का सबसे बड़ा जन-आन्दोलन हैं / इसमें भीड़ प्रलोभन से इक्कठी नहीं की गयी , प्रदर्शन के लिए लोगो को किराये पे नहीं लाया गया / न किसी सरकारी तंत्र का दुरूपयोग करके भीड़ इक्कठी की गयी हैं / यहाँ स्वत: स्फूर्त भीड़ हैं , भीड़ नहीं जन सैलाब हैं / सिर्फ दिल्ली में नहीं देश के सभी शहरों में / और अगर ये आन्दोलन कुछ दिन और चल गया तो अंग्रेजो भारत छोड़ो वाले दिन फिर एक बार भारत देखेगा / जिस तरह से युवा वर्ग श्री अन्ना के प्रति समर्पित भाव से इस आन्दोलन में भागेदारी ले रहे हैं एक नया शांतिपूर्ण विप्लव स्वाभाविक हैं अगर सरकार नहीं चेती तो /

केंद्र सरकार अगर अपनी छवि बचाना चाहती हैं तो

(क) तत्काल प्रभाव से अपने दागी मंत्रियो की छुट्टी कर दे
(ख) भ्रष्ट अफसरों को अवकाश पर भेज दे
(ग) अन्ना के साथ साँझा भागीदारी में एक जन लोकपाल विधेयक प्रारूप समिति बनाले

अगर जनता को सरकार के कृत्य में सच्चाई और इमानदारी दिखाई दी तो सरकार चलेगी नही तो ये आंधी नहीं रुकेगी / भारत की जनता को श्री अन्ना ने नयी रौशनी दी हैं / आज की युवा पीढ़ी जो महात्मा गाँधी के "एक गाल पर कोई थप्पड़ मरे तो दूसरा गाल भी आगे करदो " के सिद्धांत से एक मत नहीं रखती थी , जिन्हें अहिंसा की ताक़त का अंदाजा नहीं था , जिन्हें गाँधी जी का सत्याग्रह के बल का कोई इल्म नहीं था , उस युवा पीढ़ी को अन्ना ने गांधीजी और उनके सिद्धांतो की प्रासंगिकता समझाई हैं / और मुझे ये देखकर बहुत आनंद का अनुभव हो रहा हैं की जो युवा दिल्ली की सडको पर , इंडिया गेट पर बाईक्स पर स्टंट करते नजर आते हैं वही युवा आज केंडल मार्च में "रघुपति राघव राजा राम पतित पवन सीता राम " कोरस में गाते चले जा रहे हैं / जय हिंद

Wednesday 6 April, 2011

एक दिन तो देश के नाम कीजिये /


मेरे दोस्तों एक 70 साल का वृद्ध व्यक्ति महाराष्ट्र से चलकर आया हैं आपके शहर हम सब के लिए/ हमारे भविष्य के लिए, देश के लिए , भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए / भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए कड़े कानून बनाने की सख्त आवश्यकता हैं / पर पिछले 62 वर्ष में एक भी कानून पास नहीं हुआ संसद में जो करप्सन के विरुद्ध हो / करप्सन के खिलाफ देश में कोई सख्त कानून नहीं हैं / बड़े से बड़ा भ्रष्टाचारी भी ३-४ साल की जेल काटने के बाद हजारो करोड़ के घोटाले से अर्जित धन का स्वामी बन सकता हैं / इस देश में १०० रुपये की रिश्वत लेने वाला तो 17 साल कोर्ट में केस लड़ने के बाद १ महीने की कैद की सजा पाता हैं और दूसरी तरफ हजारो करोड़ के घपले बाज कानून की कमियों का फायदा उठाकर न्याय का बलात्कार करते फिरते हैं /
ये
शराब में मिलावट तो बड़ी आम सी बात हो गयी हैं / नकली शराब पीकर मरने वालो को समाज भी ताने देता हैं , ठीक हुआ मर गया साला / पर नवरात्री में माता के व्रत के आहार में मिलावट इसको क्या कहेगे आप ? कुट्टू के आटे की बनी रोटिया खाकर सैकड़ो लोग बीमार पद गए कौन जवाब देह हैं / जनता इस मिलावट को कैसे चेक करे ? खाद्य विभाग तो खाने में व्यस्त हैं , ऍफ़ सी आई के गोदामों में रासन सड़ रहा हैं / करोडो लोगो को दो वक़्त का भोजन नसीब नहीं हैं / अम्बानी बंधू सारे देश के वाणिज्य व्यापार पर एक छत्र अधिकार करने में लगे हुए हैं / सरकार देश की लुटिया डुबोने में आमादा हैं / अब तो सोचिये , एक दिन तो देश के नाम कीजिये / जंतर मंतर आईये सपरिवार /

ये आग नहीं बुझेगी ....नहीं बुझेगी...नहीं बुझेगी


जंतर मंतर से अभी घर पहुंचा हूँ / कमाल कर दिया हैं श्री अन्ना हजारे जी ने / देश के जनमानस की आवाज बन गए हैं / जंतर मंतर में जन सैलाब उमड़ पड़ा हैं /
युवक युवतिया, वृद्ध जवान , व्यवसायी नौकरी पेशा, रिक्शा चालक , रेड़ी पटरी वाले, किसान , रिटायर्ड सैनिक , डॉक्टर सभी एक ही मंच के नीचे निसंकोच दरी पर बैठे हुए अन्ना को सुन रहे हैं, भजन और देश भक्ति गीत गा रहे हैं / देखकर अनुभव हो रहा हैं की गांधीजी की संध्या सभा और अनशन कैसे होते होगे /

अन्ना जी आपके ऊपर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ गयी हैं / देश के नौजवानों में जो जोश और जूनून आपके इस आन्दोलन में देखा जा रहा हैं वो दिल्ली के इतिहास में अभूतपूर्व हैं / युवा वर्ग आपको एक नयी आशा की किरण के रूप में देख रहा हैं / जो युवा उकता गया था भारत की राजनीती से , उसे घिन आती थी राजनेताओ से , जो नफरत करते थे मंत्रियो से एम् एल ए, एम् पिए से वो युवा कंधे से कन्धा मिलाकर चिल्ला रहे हैं " अन्ना आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं " / ये जो थोडा सा भरोशा आपने जनमानस विशेषकर युवा वर्ग में जागृत किया हैं ये एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी हैं आप पर / अगर युवा वर्ग आपसे भी निराश हुए तो उनका विश्वाश इस राजनैतिक सिस्टम से ही उठ जाएगा /

बहुत से राजनेता अन्ना से मिलने आ रहे हैं लेकिन अन्ना को उन्हें अपने से दूर ही रखना होगा वर्ना जो जनसमर्थन उन्हें हासिल हो रहा हैं वो नहीं होगा/ जनता के मन में व्याप्त भ्रष्ट तंत्र के प्रति आक्रोश को देश व्यापी जन आन्दोलन में परिवर्तित हो रहा हैं / उत्तरी भारत से तो जाने कितने लोग मायानगरी हीरो बन ने जाते हैं पर अन्ना पहले व्यक्ति हैं जो मुंबई से दिल्ली आकर सारे देश के हीरो बन गए हैं / हमने आज जंतर मंतर से इंडिया गेट और इंडिया गेट से कस्तूरबा गाँधी मार्ग होते हुए जंतर मंतर तक "मौन दीप यात्रा " (candle march) किया / कालेज के दिनों की यादे ताजा हो गयी जब हम नारे लगते थे " ये आग नहीं बुझेगी ....नहीं बुझेगी...नहीं बुझेगी "
अगर देश को भ्रष्टाचार मुक्त करना हैं तो ये चिंगारी बुझनी नहीं चाहिए / इसे दावानल बना दीजिये और समूचे भ्रष्ट तंत्र को स्वाहा कीजिये / जय हिंद

Saturday 26 March, 2011

कोई तो इनकी कसो नकेल

लूट खसोट और धक्कम पेल
संसद में चल रहा ये खेल 
देखो बन्दर बाँट चल रही
कोई तो इनकी कसो नकेल

सीना जोरी खींचा तानी
इनके राजा इनकी रानी
खुलेआम बिकते अधिकारी 
मंत्री संत्री या चपराशी
कोई नब्बे कोई उन्नासी
सरेआम अब दे दो फांसी
संसद पर से दो इनको धकेल
कोई तो इनकी कसो नकेल

लोक लाज परवाह नहीं हैं
कुर्सी छोड़ कोई चाह नहीं हैं
नेता मंत्री चोर उच्चके
फर्क की कोई राह नहीं हैं
भेज दो सबको मंडाले जेल
कोई तो इनकी कसो नकेल

Thursday 10 March, 2011

पुलिस महकमा इतना नाकाम क्यूँ हैं ?


दिन दहाड़े हुए राधिका तंवर हत्याकांड ने मन को फिर एक बार झकझोर दिया हैं , व्यवस्था इतनी लचर क्यूँ हैं ? पुलिस महकमा इतना नाकाम क्यूँ हैं ?


पुलिस वाले मोटर साईकिल से पीछा करते हैं गाडी चलाते हुए मोबाईल पे बात करने वालो का , शरीफ सभ्रांत व्यापारियों , व्यवसायियों , नौकरीपेशा लोगो को तंग करते हैं / पर वही अपराधी उसी दिल्ली की सड़क पे काले सीसे वाली गाड़ी में बलात्कार करता फिरता हैं / क्या ज्यादा जरुरी हैं बिना ड्राइविंग लाईसेंस के गाड़ी चलने वाले को पकड़ना या जेब में रिवाल्वर लेकर चलने वाले को पकड़ना / क्यूँ दिल्ली की सडको से काली फिल्म चढ़ी सिसो वाली गाड़िया बे रोक टोक चल रही हैं / क्युकी उससे पुलिस वालो की आमदनी होती हैं / पुलिस वालो को शायद इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की उन काले सिसो के पीछे क्या हो रहा हैं /


अपराधी सरे बाजार एक के बाद एक लडकियों के चेहरे पर चाकू से वार कर जाता हैं, तेज़ाब फेंक जाता हैं और पुलिस को अपराधी मिलता ही नहीं / आरुशी हत्याकांड पुलिस की निकर्मंयता का जीता जागता प्रमाण हैं / पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाना होगा / अपनी कार्यप्रणाली में प्राथमिकता तय करनी होगी / ऍफ़ आई आर लिखना केन्द्रीयकृत करना होगा / सभी थानों का computerisation करना होगा / घूसखोरी का त्याग करना होगा / पुलिस वालो को सभी तरह के अपराधी पकड़ने के लिए पुरस्कार का प्रचलन करना होगा /