असम, सारा उत्तर पूर्वी भारत हमेशा आतंकवाद का दंश झेलता रहा हैं। पृथकतावादी ताकते इन प्रदेशो में पिछले ४ दशको से काबिज हैं। एन एस सी एन , मिजो नेशनल लिबरेशन फ्रंट , उल्फा, बोडो और दूसरे छोटे छोटे उग्रपंथी दल पिछले सालो में हमेशा आतंकी कारनामे अंजाम देते रहे हैं। पर ३०/१०/२००८ का सीरियल बोम्ब ब्लास्ट पिछले सारे आतंकी गतिविधियो से पृथक हैं। इसबार असम पर इस्लामी आतंकवाद का हमला हुआ हैं जो की गंभीर चिंता का विषय हैं।
उत्तर पूर्वी राज्यों में अवैध्य विदेशियो विशेषकर बंगलादेशी मुशलमानो की संख्या बढती जा रही हैं। अनाधिकार सीमा पार से अनुप्रवेश जारी हैं। कुकुरमुत्तो की तरह मस्जिद और मदर्शे उग रहे हैं। रिमोट इलाको में, गहरे घने जंगलो में बसे गावो में जहाँ मुसलमानों की जनसँख्या ५-१० घर परिवार ही हो, वहां शानदार पक्की बड़ी मस्जिद स्थापित होना इस्लामी मुल्को और जेहादी संगठनो के पैसो का इन्वोल्वेमेंट दर्शाता हैं। बांग्लादेश को आई एस आई भारत के ख़िलाफ़ इस्तेमाल कर रही हैं। उन्ही की सहायता से आतंकवाद की खेती की जा रही हैं असम में, सारे भारत में।
स्थानीय नेताओं का प्रश्रय , जेहादी मानसिकता, अल्पसंख्यक वर्ग में बढती असुरक्षा की भावना, शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी, निर्धनता आतंकवाद को स्थापित कर रही हैं ।
अब तो बस प्रतीक्षा हैं, परिवर्तन की । प्रतीक्षा हैं कलयुग के अवतार की।
" यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:, अभ्युथानम् च धर्मश्ये, संभवामि युगे युगे: ॥
7 comments:
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. लिखते रहिये. शुभकामनयें.
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मेरे ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित हैं.
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!
भगावन ने इस देश को गुलाम होने से नहीं बचाया...अब भी उस पर भरोसा?
ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है. जमाए रहें. पूर्वोत्तर के हालात बद-से बदतर है. मगर इस पर बोलना दूर्भाग्य से हिन्दू कट्टरपथिंता कहलाती है.
आपका स्वागत है. शुभकामनयें.
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मेरे ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित हैं.
अच्छा विषय उठाया है आपने. कम-से-कम एक सार्थक चर्चा तो शरू हो. स्वागत आपका मेरे भी ब्लॉग पर.
jeena mushkil kar diya is aatankwad ne
narayan narayan
असम की त्रासदी कोई उनसे पूछे, जिन्होंने आपने घर उल्फा के डर से छोड़ दिए,
....अब तो कुछ सालों बाद चाइना के द्रगों भी इस को निगल जायेगा
चिट्ठाजगत में स्वागत है
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