तुम आग हो ,
तुम्हे सुलगना नहीं
जलना हैं
ताप देना हैं
सारे जहाँ को
घुट घुट कर सांस लेना
तुम्हारी प्रकृति नहीं
ऊर्जा हो तुम
युवा
तुम्हारे रक्त की उष्णता
सिर्फ प्रेयसी को उन्मादित करने के लिए नहीं
इसके बहुत से प्रयोजन हैं
राष्ट्र, समाज,
ताक रहे हैं तुम्हारी ओर
कब जलाओगे
भ्रष्टाचार और आतंकवाद की लाश ?
5 comments:
बेहद अर्थपूर्ण रचना लगी। बहुत-बहुत बधाई
बहुत सुन्दर व बढ़िया रचना।एक संदेश देती हुई......
युवा
तुम्हारे रक्त की उष्णता
सिर्फ प्रेयसी को उन्मादित करने के लिए नहीं
इसके बहुत से प्रयोजन हैं
very meaningful...lines
bahut gahra ..... yuva ke liye joshila msg
Thanks for all comments
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