Saturday 9 April, 2011

रामदेव जी आपकी महत्वाकांक्षा प्रबल हैं /

बाबा रामदेव ने पिछले दो दिनों में दो बार राजनीती का प्रदर्शन कर दिया / एक बार तो श्री अन्ना जी के मंच से सोनिया गाँधी का विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर, तब भी गुस्सा आया था और आज तो हद ही कर दी / श्री शांति भूषण और प्रशांत भूषण पिता- पुत्र का एक साथ जन लोकपाल ड्राफ्ट कमिटी में होना सोचने से अच्छा नहीं लग रहा / इससे बचना था / लेकिन जल्दबाजी में या किसी भी और वजह से अगर ये त्रुटी रह गयी तो भी बाबा रामदेव को मीडिया में बयान नहीं देना था / पहले आपस में, इंडिया अगेंस्ट करप्सन में चर्चा करते फिर मीडिया में बयानबाजी करते / बाबा रामदेव बहुत ही ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं लेकिन अपनी महत्वाकांक्षा के चलते वो जनभावना का अपमान नहीं कर सकते / बाबा रामदेव जो शहर शहर गाँव गाँव वर्षो से घूम घूम कर भी अपने लिए जो जनसमर्थन इकठ्ठा नहीं कर पाए वो श्री अन्ना को मिलते देखकर वो बौखला गए हैं / बाबा रामदेव सोचते हैं की उन्हें जन समर्थन हासिल हैं लेकिन उन्हें ये नहीं पता की भारत की जनता की सोच बहुत ही परिपक्व हो चुकी हैं / मैं उनसे सादर सिर्फ एक ही सवाल पूछना चाहता हूँ की आप भारत स्वाभिमान के जो मंडलाध्यक्ष , जिलाध्यक्ष बना रहे हैं उनका चुनाव कैसे कर रहे हैं , क्या उनके लिए कोई चंदा / डोनेसन निर्धारित हैं ? 

रामदेव जी आप देश के लिए सोचते हैं इसमें कोई शक नहीं लेकिन आपकी महत्वाकांक्षा प्रबल हैं / त्याग की प्रतिमूर्ति बनिए श्री अन्ना जी की तरह , नाम के योगी न बने कर्म में योग लाये / त्याग में बहुत बड़ी शक्ति होती हैं, सोनिया जी का प्रधानमंत्री पद का त्याग ही  यु पि ए सरकार को अब तक चला रहा हैं / श्री अन्ना जी से अनुरोध करना चाहूगा की वो अपने आन्दोलन को किसी राजनैतिक महत्वाकांक्षा की बलि न बनने दे  , आज भारत की जनता को आपमें जो एक नयी रौशनी दिखी हैं उसे कायम रहने दे / श्री अरविन्द केजरीवाल से लेकर स्वामी अग्निवेश तक जो लोग भी आज आपके साथ हैं उन्हें एक बार फिर से परख ले , क्या वो सच्चे देशभक्त हैं ? क्या वो निस्वार्थ हैं ? क्या उनके मन के अन्दर कोई दबी हुयीं महत्वाकांक्षा तो नहीं ? नेहरु जी और जिन्ना जी की महत्वाकांक्षा का फल हम सभी भुगत रहे हैं / आजादी के इस दुसरे आन्दोलन की परिणति ऐसी होना देश का दुर्भाग्य होगा /

4 comments:

honesty project democracy said...

सार्थक चिंतन प्रस्तुत किया है आपने...वैसे मुझे शांति भूषन जी और प्रशांत भूषन जी दोनों बाप बेटे का समिति में होना गलत नहीं लग रहा क्योकि ये दोनों धासू कानूनी जानकर हैं ,इससे हमारा पक्ष मजबूत ही होगा..

Sunil Kumar said...

विचारणीय पोस्ट , आन्दोलन को राजनीती से दूर रखा जाये , आभार

अनुनाद सिंह said...

क्या सोनिया विदेशी मूल की नहीं है? क्या यह सच नहीं कि सरकार और भ्रष्टाचार दोनो की चाबी सोनिया के पास है और वह बड़ी चतुराई से दोनो का प्रयोग भारत को लूटने के लिये कर रही है। और अंग्रेज क्या करते थे? वे भी तो इस देश में भ्रष्टाचार का एक 'नियंत्रित सिस्टम' बनाकर लूट रहे थे।

Anonymous said...

कभी नहीं बनाऊंगा कोई राजनीतिक दल: रामदेव
May 19, 07:59 am
बताएं

चंद्रपुर। योग गुरू बाबा रामदेव ने आज कहा कि वह न तो कभी कोई राजनीतिक दल बनाएंगे और न ही उनकी कोई राजनीतिक महत्वाकाक्षा है।
रामदेव ने संवाददाताओं से कहा कि वह कोई राजनीतिक पद पाने के लिए कभी कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि मेरा उद्देश्य सत्याग्रह के माध्यम से सच की सत्ता स्थापित करना है। मैं कभी कोई राजनीतिक पद नहीं चाहूंगा और न ही भारत स्वाभिमान ट्रस्ट कोई राजनीतिक दल बनाएगा।
बाबा रामदेव ने दावा किया कि भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों से उनके जीवन को 'खतरा' है। उन्होंने माग की कि विदेशों में जमा काले धन को वापस लाया जाना चाहिए और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए बड़े नोटों को बंद कर देना चाहिए।