Tuesday, 9 June 2009

शून्य मेरे दोस्त

मैं शून्य हूँ
तुम भी शून्य हो जाओ
हम जुड़कर भी शून्य
और घटकर भी शून्य
और कोई अगर गुणा करे
तो भी सिफर शून्य
पर कोई बाँटना चाहे हमे
करना चाहे विभाजित
असंभव
हम एक दुसरे से अविभाज्य रहे
हमेशा हमेशा

2 comments:

श्यामल सुमन said...

उपनिषद के एक श्लोक में यही वर्णित है जिसे स्वामी विवेकानन्द अक्सर बोलते थे-

पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Science Bloggers Association said...

इसी बहाने शून्‍य की जानकारी भी मिली।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }