Saturday 26 March, 2011

कोई तो इनकी कसो नकेल

लूट खसोट और धक्कम पेल
संसद में चल रहा ये खेल 
देखो बन्दर बाँट चल रही
कोई तो इनकी कसो नकेल

सीना जोरी खींचा तानी
इनके राजा इनकी रानी
खुलेआम बिकते अधिकारी 
मंत्री संत्री या चपराशी
कोई नब्बे कोई उन्नासी
सरेआम अब दे दो फांसी
संसद पर से दो इनको धकेल
कोई तो इनकी कसो नकेल

लोक लाज परवाह नहीं हैं
कुर्सी छोड़ कोई चाह नहीं हैं
नेता मंत्री चोर उच्चके
फर्क की कोई राह नहीं हैं
भेज दो सबको मंडाले जेल
कोई तो इनकी कसो नकेल

4 comments:

मदन शर्मा said...

पहली बार आपकी पोस्ट पे आया .
दिल को छू गई प्रस्तुति!!
कृपया वर्ड वेरिफिकेसन हटा दें बहुत ही सहूलियत होगी.

Rajesh Sharma said...

मदनजी आपका आभार / वर्ड वेरिफिकेसन मैंने हटा दी हैं / धन्यवाद

Shikha Kaushik said...

bahut sateek prastuti ..badhai

honesty project democracy said...

हाँ सही कहा आपने आज इस देश में जितने भी मंत्री हैं सबको जूते मारकर जेल में डालने या लाल किले पे फांसी देने की जरूरत है क्योकि ये सब भ्रष्ट और महा कुकर्मी हैं....