मानव,
कुत्शितता
निर्लज्जता
तेरी बर्बरता
की पराकाष्ठा
मैं मानवी
तेरी जन्मदात्री
सह-धर्मिणी
तेरी भगिनी
असह्य पीड़ा
विलाप नहीं
अब विद्रोह करुगी
मेरा उत्ताप
मेरा श्राप
भस्मीभूत न करे
कर पश्चाताप
मुझसे द्वेष नहीं
प्रेम कर,
स्नेह कर,
अन्यथा वंचित
ममत्व से
मैं करुँगी
विलाप नहीं
अब विद्रोह करुँगी /
कुत्शितता
निर्लज्जता
तेरी बर्बरता
की पराकाष्ठा
मैं मानवी
तेरी जन्मदात्री
सह-धर्मिणी
तेरी भगिनी
असह्य पीड़ा
विलाप नहीं
अब विद्रोह करुगी
मेरा उत्ताप
मेरा श्राप
भस्मीभूत न करे
कर पश्चाताप
मुझसे द्वेष नहीं
प्रेम कर,
स्नेह कर,
अन्यथा वंचित
ममत्व से
मैं करुँगी
विलाप नहीं
अब विद्रोह करुँगी /
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