Wednesday 19 December, 2012

मैं मानवी, अब विद्रोह करुँगी

मानव, 

कुत्शितता 
निर्लज्जता 
तेरी बर्बरता 
की पराकाष्ठा 

मैं मानवी 
तेरी जन्मदात्री 
सह-धर्मिणी 
तेरी भगिनी
असह्य पीड़ा
विलाप नहीं
अब विद्रोह करुगी

मेरा उत्ताप
मेरा श्राप
भस्मीभूत न करे
कर पश्चाताप

मुझसे द्वेष नहीं
प्रेम कर,
स्नेह कर,
अन्यथा वंचित
ममत्व से
मैं करुँगी
विलाप नहीं
अब विद्रोह करुँगी /

No comments: