जो पीड़ित दुखी हैं दुनिया में
उनका अपना बनना होगा
मदर टेरेसा की मानिंद
माँ का सा मन रखना होगा
विष का पान करोगे
तो ही शंकर बन पाओगे
धारण मुकुट हो कांटो का
तभी जीसस कहलाओगे
पीर परायी ना जानी
कैसे बन जाओगे गाँधी
दीपक सा रोशन होओगे
जब झेलोगे झंझा आंधी
छायादार वृक्ष सा विस्तार
कर देना अपना तन मन
देश प्रेम हो ह्रदय में
होठो पे हमेशा हो जन गण
उनका अपना बनना होगा
मदर टेरेसा की मानिंद
माँ का सा मन रखना होगा
विष का पान करोगे
तो ही शंकर बन पाओगे
धारण मुकुट हो कांटो का
तभी जीसस कहलाओगे
पीर परायी ना जानी
कैसे बन जाओगे गाँधी
दीपक सा रोशन होओगे
जब झेलोगे झंझा आंधी
छायादार वृक्ष सा विस्तार
कर देना अपना तन मन
देश प्रेम हो ह्रदय में
होठो पे हमेशा हो जन गण
No comments:
Post a Comment