sabse dur sabke paas
Sunday, 28 September 2008
अजनबी
सायो की तरह
शक चलता हैं मेरे साथ
ढूंढता रहता हूँ
हर अजनबी चेहरे में
बना रहता हैं एक अंदेशा
भयावह
जबसे पढ़ा हैं इश्तेहार
लावारिश वस्तु न छुए
किराये पर ना दे अजनबी को मकान
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