यूँ पत्थरो पर खीचना लकीरे ,
आसान नही,
क्या तुम्हे दर्द का गुमान नही ?
उनके बीच पहुची हो ,
इंसान बनकर,
जिनका अपना कोई भगवान् नही।
एक माँ ही हैं इतना कर सकती
उसकी ममता से हम अनजान नही॥
(स्वर्गीय श्रीमती विजी श्रीनिवासन को समर्पित, जिन्होंने बिहार जैसी जगह में जनसेवा की)
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