Wednesday, 1 October 2008
कहाँ गया तुम्हारा शान्ति राज राम राज ?
हे गांधीजी,
शान्ति राज्य राम राज्य का स्वप्न तुम्हारा
नही हुआ साकार
किसी ने ना सुनी "हे राम" की पुकार
हिंसा से भरा हैं देश
हैं घोर अंधकार
आकाश भी कंपकपाते हैं
सुनकर, यहाँ की दुर्नीति और अनाचार
हीनता और दीनता के शोर हैं यहाँ
चाकू रेवोल्वर के जोर हैं यहाँ
कोई नही सुनता हैं किसी की बात
दिन कब गुजरता हैं, कब हो जाती हैं रात
नेता सिर्फ़ गिनते हैं यहाँ वोट
भरते हैं पाकेटों में हरे हरे नोट
कानून के रखवाले ही
सताते गरीबो को
पहन कर काले - काले कोट
जो आपके नाम का प्रयोग
भाषणों में करते हैं
वे ही कहाँ आपके आदर्शो पे चलते हैं
हिंशात्म्क तत्व न किसी से डरते हैं
सत्यवादी अहिन्षक भूखे मरते हैं
फिरते हैं शिक्षित यहाँ, काम के मारे
यहाँ जीते झूठ और सत्य हारे
अफसर हैं यहाँ रिश्वतखोर सारे
इनको देख हमारा दिल हाय हाय पुकारे
इसलिए महात्मा जी
अब तुम्ही दो जवाब
कहाँ गया तुम्हारा
वो शान्ति राज राम राज ??
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